बुधवार, 22 जनवरी 2020

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (Natioanl Population Register - NPR)

हम भारत्त के लोग से अभिप्राय, भारत की जनता  अर्थात भारत के नागरिकों से हैं। भारत अपने नागरिकों को घुसपैठियों से अलग परिभाषित , चिन्हित , और प्रतिष्ठित करता है;
 वे विधियाँ ;  नागरिकता अधिनियम,१९५५ (कई बार संशोधित),
                    विदेशी अधिनयम, १९४६
                    पासपोर्ट अधिनयम, १९२० हैं।

भारत में रहने वाला प्रत्येक गैर - नागरिक एक घुसपैठिया या अवैध प्रवासी है, अगर वह एक पर्यटक या राजनायिक नहीं है।
विदेशी अधिनियम के अनुसार भारत के सभी घुसपैठियों या अवैध प्रवासियों को निष्कासित करना सरकार का कर्त्तव्य है।  अवैध प्रवासियों या घुसपैठियों का अनुमान लगन उतना ही उपमेयमन है जितना अर्थ-व्यवस्था में काले  धन के प्रचलन का अनुमान लगाना है, जबकि दोनों ही भारतीय व्यवस्था में मौजूद हैं।

इस कहानी की शुरुआत वर्तमान परिवेश में तब हुई जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने  नागरिकता ( संशोधन ) अधिनयम ,२०१९ के चर्चा के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर नागरिकों का रजिस्टर ( NRC ) के प्रावधान लेन की घोषणा की।
नागरिकता ( संशोधन ) अधिनियम,२०१९ के विरोध में कई जगह पर कई स्थानों पर विरोध (हिंसक) प्रदर्शन जारी है। इसी के साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) के अद्यतन (updation) पर विवाद छिड़ गया।  पश्चिम बंगाल और  केरल सरकारों ने  राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) के अद्यतन (updation)  कार्य को स्थागित करने की घोषणा की हैं। अब घटनाओं  की यह प्रक्रिया गैर - बीजेपी शासित राज्यों ने भी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) के अद्यतन (updation) की प्रक्रिया का विरोध शुरू कर दिया है।  राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) के अद्यतन (updation) की प्रक्रिया कई उलझनों में रह गयी है , समय के साथ जनगणना के लिए गिनती तेजी से शुरू हो गयी है। जनगणना के साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) के अद्यतन (updation) का डाटा भी डोर टू डोर चरण प्रक्रिया के द्वारा की जानी है।


क्या हाल  ही पारित नागरिकता ( संशोधन ) अधिनियम, २०१९ (CAA) राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) से सम्बंधित है ?

इसका  जवाब हाँ या नहीं दोनों हो सकते है। इसका सीधा सम्बन्ध नहीं है यह इस पर निर्भर करता है कि  सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) के लिए एकत्रित डाटा का उपयोग किस प्रकार करती है जिसकी वर्तमान समय में कोई घोषणा नहीं की गयी है।   




                      राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (Natioanl Population Register - NPR)

 राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) देश के सामान्य निवासियों  का रजिस्टर है। यह नागरिकता अधिनियम, १९५५ और नागरिकता ( नागरिकों का  पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र ) नियम, २००३ के प्रावधानों के तहत स्थानीय (local) ( ग्राम/उप-टाउन ), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है।
भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी को NPR में पणिकरान करना अनिवार्य है। एक सामान्य निवासी को NPR के उद्देश्यों के लिए परिभाषित किया जाता है, जो पिछले ६ महीने या उससे अधिक समय में स्थानीय क्षेत्र में रहता है या एक व्यक्ति जो अगले महीने या उससे अधिक  समय तक उस क्षेत्र में निवास करने का इरादा रखता है।

उद्देश्य :- NPR का उद्देश्य भारत के हर निवासी का राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक राष्ट्रीय पहचान डेटाबेस तैयार करना है।  डेटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ-साथ बायोमैट्रिक विवरण शामिल  होंगे।

प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए निम्नलिखित जनसांख्यिकी विवरण आवश्यक हैं।
१. व्यक्ति का नाम
२. घर के मुखिया से रिश्ता
३. पिता का नाम
४. माता का नाम
५. पति का नाम (यदि विवाहित है )
६. लिंग
७. जन्म-तिथि
८. वैवाहिक स्थिति  
९. जन्म-स्थान
१०. राष्ट्रीयता (घोषित के रूप में )
११. सामान्य निवास का वर्तमान पता
१२. वर्तमान पते पर रहने अवधि
१३. स्थायी निवास पता
१४. व्यवसाय/गतिविधि
१५. शैक्षणिक योग्यता



राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) के लिए सर्वप्रथम डाटा २०१० में भारत की जनगणना के गृह -गृह चरण व्यवस्था के साथ एकत्र किया गया।  इस डाटा का अद्यतन ( updation ) २०१५ के दौरान डोर-टू-डोर सर्वे करके किया गया था। अद्यतन (upadate ) जानकारी का डिजटलीकरण पूरा हो गया है।
अब असम को छोड़कर सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में अप्रैल-सितम्बर २०२० के दौरान जनगणना - २०२१ के गृह-गृह चरण के साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) को अद्यतन ( update ) करने का निर्णय लिया गया है। इस आशय की राजपत्र अधिसूचना केंद्र - सरकार द्वारा पहले ही प्रकाशित की जा चुकी है।


राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) और नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर ( NRC ) की वैधानिकता -


१९५५ के नागरिकता अधिनियम में  संशोधन कर उसमे एक  नई धारा 14a जोड़ी गयी।  जो राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने से सम्बंधित है।

नागरिकता अधिनियम की धारा 14a:-

       राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना-
(१) केंद्र सरकार अनिवार्य रूप से भारत के प्रत्येक नागरिक को पंजीकृत कर सकती है और उसे राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है।
(2) केंद्र सरकार भारतीय नागरिकों के एक राष्ट्रीय रजिस्टर को बनाए रख सकती है और इस उद्देश्य के लिए एक राष्ट्रीय पंजीकरण प्राधिकरण की स्थापना करती है।
(३) नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, २००३ के प्रारंभ होने की तारीख से, रजिस्ट्रार जनरल, भारत, बर्थ एंड डेथ्स एक्ट, १ ९ ६ ९ के पंजीकरण की धारा ३ की उप-धारा (१) के तहत नियुक्त (१ from) 1969) राष्ट्रीय      पंजीकरण प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा और वह नागरिक पंजीकरण के रजिस्ट्रार जनरल के रूप में कार्य करेगा।
(4) केंद्र सरकार ऐसे अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को नियुक्त कर सकती है, जो अपने कार्यों और जिम्मेदारियों के निर्वहन में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ सिटीजन रजिस्ट्रेशन की सहायता के लिए आवश्यक हो सकते हैं।
(५) भारत के नागरिकों के अनिवार्य पंजीकरण में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित की जाएगी।

यह प्रक्रिया नागरिकता ( नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र ) नियम, २००३ के नियम ३(४) और नियम ४(१) के अनुसार होंगे।



जनगणना ( Census ) और  राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ):-

भारत में जनगणना निर्णायक है। इसमें भारत की जनसंख्या के बारे में सामान्य डाटा एकत्रित करने के उद्देश्य के रूप में एक विस्तृत प्रश्नावली शामिल है। २०२१ की जनगणना में प्रगणक को लाइन क्रमांक, भवन संख्या, जनगणना मकान नम्बर, जनगणना मकान में फर्श, दीवार और छत में प्रयुक्त सामग्री, जनगणना मकान के उपयोग का पता ( वास्तविक आदि ), आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति, व्यवसाय, धर्म, जन्म-स्थान, विकलांगता, मातृभाषा और यदि वे अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग जैसे  ३४ विवरण / प्रश्न शामिल होंगे।

NPR प्रक्रिया व्यक्तियों / नागरिकों के जनसांख्यिकीय और बायोमैट्रिक विवरण को एकत्रित करती है। NPR और जनगणना ( census ) दोनों प्रक्रियाओं में डोर टू डोर गणना शामिल है। लेकिन NPR इस  जनगणना से अलग है क्यूंकि इसका उद्देश्य भारत में  रहने वाले  निवासियों का राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक पहचान डाटा बेस तैयार करना / रखना है।  जनगणना ( census ) व्यक्तियों की पहचान नहीं करती हैं।  हालाँकि जनगणना २०२१ में, यह अंतर नाममात्र भी नहीं होगा क्यूंकि सरकार द्वारा मोबाइल फोन एप्लीकेशन ( Mobile phone application ) के माध्यम से इसे संचालित  करने की योजना बनाई गयी है।


इसके अलावा भारत के रजिस्ट्रार जनरल के तहत जनगणना के आंकड़े केंद्र द्वारा रखे और बनाये जाते है, लेकिन NPR में डाटा एकत्र होने के बाद इन विवरण को ग्राम, वार्ड,  तहसील, जिला और राज्य  स्तर पर जनसंख्या रजिस्टर में रखा और बनाये रखा जायेगा ; साथ ही केंद्रीय स्तर  पर सभी आंकड़ों के साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) का गठन किया जायेगा। 


आधार ( UID ) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ):-

आधार ( UID ) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) दोनों प्रतिद्वंदी योजनाओ की शुरुआत डॉ. मनमोहन सिंह की UPA सरकार के काल में हुई।  जब सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) प्रक्रिआ शुरू की तब पी. चिंदबरम  केंद्रीय गृहमंत्री थे जिन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) योजना को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाया।

आधार ( UID ) सेवा / प्रक्रिया को तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा संचालित किआ जा रहा था। बाद में प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद वित्त मंत्रालय पी. चिंदबरम को स्थानांतरित / प्राप्त हो गया।  जिससे आधार ( UID ) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) प्रतिद्वंदता का अंत भी हुआ।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) और आधार ( UID ) दोनों योजनायें समवर्ती रूप से जनसांख्यिकी  और बायोमैट्रिक डाटा एकत्रित कर रही थी , प्रारम्भ में दोनों योजनाओ ने अपने उद्देश्य के रूप में  लोगों को लाभ और सेवाओं की बेहतर और लक्षित वितरण किया।  UIDAI ( भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ) और गृहमंत्रालय के कार्यों को संसाधनों के दोहराव और और अपव्यय  देखा गया।
हालाँकि यह विवाद UIDAI ( भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ) और गृहमंत्रालय के बीच एक समझौते पर समाप्त हुआ , जहाँ यह निर्णय लिया गया था कि NPR और UID डेटाबेस का इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जायेगा।  आधार ( UID ) कल्याणकारी सेवाएं प्रदान करेगा और NPR का उपयोग शासन के अन्य उद्देश्यों के लिए किया जायेगा।
यह भी तय किया गया कि  आधार के लिये पहले से नामांकित लोगों  को अपने बायोमैट्रिक विवरण देने की जरूरत नहीं है। 



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अन्य:-  CAA और NRC
       
             असम NRC

गुरुवार, 16 जनवरी 2020

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता - रजिस्टर (NRC)

         नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता - रजिस्टर (NRC) 



CAA  और NRC दोनों अलग विधि हैं। CAA संसद द्वारा निर्मित विधि है।  जबकि NRC के सन्दर्भ में विधि एवं उससे सम्बन्धित प्रक्रिया निर्माण अभी शेष है। असम और राष्ट्र व्यापी NRC में कोई भी सम्बन्ध नहीं है। असम  में जो NRC लागू  किया गया , वह '' असम  समझौते '' और माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश अनुसार तैयार की गयी और प्रवर्तनीय की गई।  

किसी भी धर्म सम्भाव के व्यक्ति को CAA  और NRC से परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। 

NRC के सन्दर्भ में बनायीं जा रही विधि और प्रक्रिया का किसी भी धर्म से कोई सरोकार नहीं है।  यह भारत के सभी नागरिकों के लिए सामान रूप से होगा; NRC नागरिकों का एक प्रकार का रजिस्टर होगा जिसमें  देश के सभी नागरिकों  को अपना नाम दर्ज़ / अंकित कराना होगा। 

NRC का आधार धार्मिक - निरपेक्षता होगा। NRC जब भी प्रवर्तनीय कराया जायेगा तो वह धार्मिक आधार पर प्रवर्तनीय / लागू नहीं किया जायेगा। किसी भी नागरिक को सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता है कि  वह किसी विशेष धर्म के प्रति सद्भावना रखता है। 


सर्वलौकिक है कि अभी राष्ट्रीय स्तर पर NRC जैसा कोई प्रावधान लागू नहीं किया गया है और न ही इसकी औपचारिक घोषणा की गयी है, और न ही इसके सन्दर्भ में कोई विधि निर्मित की गयी है। अगर आने वाले समय में कोई प्रावधान लाया जाता है तो वह सभी भारतीय नागरिकों  के लिया सामान होंगे।



असम NRC और १९७१ से पहले की वंशावली का प्रस्तुतीकरण :-

असम की  समस्या को पूरे देश से जोड़ना ठीक नहीं है। वहां घुसपैठियों की समस्या लम्बे समय से चली आ रही थी। इसके विरोध में वहां ५-६  वर्षों तक आंदोलन और संघर्ष चला। इस घुसपैठ की समस्या की वजह से तत्कालीन  राजीव गाँधी सरकार को १९८५ में समझौता करना पड़ा था। इसके तहत घुसपैठियों की  पहचान के लिए २५ मार्च १९७१ को कट ऑफ़ डेट मन गया ; जो NRC का आधार बना। 
जिसमे १९७१ से पहले के वंशावली को प्रस्तुत करना था जो कि  असम समझौता और माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश के आधार पर था। 
असम  NRC और १९७१ से पहले की वंशावली का प्रस्तुतीकरण, राष्ट्र - व्यापी NRC से कोई सम्बन्ध नहीं है।  

१९७१ से पहले की वंशावली का प्रस्तुतीकरण-  ऐसा बिलकुल नहीं है १९७१ से पहले की वंशावली के लिए किसी को भी किसी प्रकार के दस्तावेज / प्रमाण-पत्र को प्रस्तुत करने कीआवश्यकता नहीं है। यह केवल असम NRC के लिए मान्य था वह भी ''असम समझौता '' और माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर। देश के शेष हिस्सों के लिए The citizenship (Registration of citizens and Issues of National Identity cards) Rule, 2003 के अनुसार NRC की प्रक्रिया पूरी तरह से अलग है। 


नागरिकता के सन्दर्भ में प्रावधान:-  

नागरिकता नियम २००९के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किस प्रकर निश्चित की जाएगी, यह प्रावधान नागरिकता अधिनियम, १९५५ के आधार पर बना है। यह नियम सार्वजनिक  रूप से सभी के लिए सामान है। 

नागरिकता के आधार / तरीके:- 

                                        १. जन्म के आधार पर 
                                        २. वंश के आधार पर 
                                        ३. पंजीकरण के आधार पर 
                                        ४. भूमि विस्तार के आधार पर 
                                        ५. देशीयकरण के आधार पर 


स्वीकार्य दस्तावेज / प्रमाण-पत्र:-

हालाँकि इस सन्दर्भ में अभी स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। परन्तु इस सन्दर्भ में रिफ्यूजी प्रमाण-पत्र, मतदाता पहचान-पत्र, पासपोर्ट, आधार कार्ड, लाइसेंस, जन्म प्रमाण-पत्र,घर / भूमि के कागजात, बीमा के कागजात, या फिर इसी प्रकार के अन्य सरकारी दस्तवेजों को शामिल किये जाने की संभावना है। स्वीकार्य दस्तावेजों की लम्बी होने की संभावना है जिससे कि  किसी भी भारतीय नागरिक को परेशानी न हो। 

दस्तावेज न होने की स्थिति में:- 

पहचान साबित करने के लिए बहुत सामान्य दस्तावेज की जरूरत होगी। राष्ट्रीय स्तर  पर NRC की घोषणा होती है तो सर्कार ऐसे नियम और निर्देश तय करेगी जिससे किसी को परेशानी न हो। 
विधि निर्माताओं की यह मंशा बिलकुल नहीं है कि वह अपने नागरिकों को परेशान करें। 
दस्तावेज न होने की स्थिति में अधिकारी उस व्यक्ति को गवाह लेन की अनुमति देगा; साथ ही अन्य सबूतों और सामुदायिक प्रमाणीकरण आदि की अनुमति देंगे। एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जायेगा। किसी भी भारतीय नागरिक को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जा सकता। 
ऐसे लोग जो जो पढ़े - लिखे नहीं है, घर नहीं है, दस्तावेज नहीं है, गरीब है, और उनके पास पहचान का कोई आधार नहीं है; ऐसे लोग किसी न किसी आधार पर वोट डालते है और उन्हें सरकार की किसी न किसी कल्याणकारी योजना का मिला है उसी के आधार पर पहचान स्थापित की जाएगी। 



                                                          - आशुतोष सिंह